समय की मांग
छोटे थे तो नाखुन भी कोमल थे बड़े क्या हुए बाल भी नुकीले हो गए
ग्लास भी अपने से ना भरने वाले जिम्मेदारी के बोझ से फुर्तीले हो गए|
बच्चो को कुछ हिदायत क्या दी के बुजुर्ग जहरीले हो गए||
पहली तनख्वाह आई तो बहुत कुछ नया आया घर मेढंग से कमाना सीखा नहीं ओर अभी से खर्चीले हो गए||
ना जाने बेवजह बेमतलब का गुस्सा क्यों करते रहते हैं लोगठोकर अपनी गलती से लगी ओर पत्थर पर लाल-पीले हो गए||
कहा करते थे बच्चे बचपन मे इस घर से कभी जुदा नहीं होंगेबहुत बरसो से बंद पड़े उस र मे चिकनी रेत के टीले हो गए||
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Pratikhya Priyadarshini
22-Sep-2022 01:03 PM
Bahut khoob 💐👍
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Abhinav ji
19-Sep-2022 10:35 AM
Very nice👍
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Swati chourasia
19-Sep-2022 06:49 AM
वाह बहुत ही खूबसूरत रचना 👌👌
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