Add To collaction

समय की मांग

छोटे थे तो नाखुन भी कोमल थे बड़े क्या हुए बाल भी नुकीले हो गए 
ग्लास भी अपने से ना भरने वाले जिम्मेदारी के बोझ से फुर्तीले हो गए|

अभी नादां हो सही गलत का अंदाजा नहीं है तुम लोगों को 

बच्चो को कुछ हिदायत क्या दी के बुजुर्ग जहरीले हो गए||

पहली तनख्वाह आई तो बहुत कुछ नया आया घर मे 

ढंग से कमाना सीखा नहीं ओर अभी से खर्चीले हो गए||

ना जाने बेवजह बेमतलब का गुस्सा क्यों करते रहते हैं लोग 

ठोकर अपनी गलती से लगी ओर पत्थर पर लाल-पीले हो गए||

कहा करते थे बच्चे बचपन मे इस घर से कभी जुदा नहीं होंगे 

बहुत बरसो से बंद पड़े उस र मे चिकनी रेत के टीले हो गए||

   17
8 Comments

Pratikhya Priyadarshini

22-Sep-2022 01:03 PM

Bahut khoob 💐👍

Reply

Abhinav ji

19-Sep-2022 10:35 AM

Very nice👍

Reply

Swati chourasia

19-Sep-2022 06:49 AM

वाह बहुत ही खूबसूरत रचना 👌👌

Reply